लेखनी प्रतियोगिता -04-Nov-2022 देवठानी एकादशी

देवनी एकादशी

देवठानी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस दिन  भगवान विष्णु चार महीने की नींद से उठते हैं, और इसी दिन से समस्त शुभ कार्य शादी विवाह आदि शुरू हो जाते हैं। इस दिन सभी मौसमी फलों जैसे सिंघाड़ा, शकरकंदी,मूली, गन्ना,केला, सेब, मिठाई,फूल आदि चढ़ाकर एकादशी की पूजा होती है।शाम को घी के दीपक जलाए जाते हैं। और प्रबोधिनी एकादशी की खुशियां मनाई जाती है।

जिनके घर में शादी ब्याह होने वाले होते हैं। आज के दिन से उनके घर में शादी ब्याह की तैयारियां शुरू हो जाती हैं, और एक विशेष विधान होता है, कि आज के दिन उन लोगों की शादी भी हो जाती है। जिनका कोई मुहूर्त नहीं निकल पाता, आज के दिन मुहूर्त की जरूरत नहीं होती है। आज का शुभ दिन इतना शक्तिशाली होता है,जिसमें मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती है। और बिना मुहूर्त देखे ही आज के दिन शादी करना बहुत शुभ माना जाता है

प्रबोधिनी एकादशी का विशेष महत्व है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवठानी एकादशी मनाते हैं। इसे प्रबोधिनी या देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जानते हैं।  देवठानी एकादशी के दिन से ही चतुर्मास समाप्त हो जाते हैं, और शुभ व मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। 
शास्त्रों के अनुसार, देवठानी एकादशी के दिन ही सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु चार महीने बाद योग निद्रा से जागते हैं और पुन: सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं। कई लोग इसी दिन भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह करा देते हैं।जब कि होकर उठने के तुरंत बाद विवाह नहीं होता, बल्कि इसी दिन से विवाह की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। और विवाह कार्तिक पूर्णिमा को संपन्न कराया जाता है।

एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। ऐसे में इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए। 

प्रबोधिनी एकादशी के दिन प्रभु शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह भी कुछ लोग करते हैं। ऐसे में इस दिन तुलसी के पत्तों को तोड़ने की मनाही होती है।

एकादशी के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए। अगर आप व्रत नहीं रख रहे हैं तो इस दिन साधारण भोजन करना चाहिए। इस दिन मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि चावल का सेवन करने से व्यक्ति अगले जन्म में रेंगने वाले जीव की योनि पाता है।

 एकादशी तिथि के दिन वाद-विवाद से बचना चाहिए। इस दिन लड़ाई-झगड़ा करने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं। एकादशी तिथि के दिन किसी का अपमान नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी रुष्ट होती ह

एकादशी के दिन दान करना उत्तम माना जाता है। एकादशी के दिन संभव हो तो गंगा स्नान करना चाहिए। विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए एकादशी के दिन केसर, केला या हल्दी का दान करना चाहिए। एकादशी का उपवास रखने से धन, मान-सम्मान और संतान सुख के साथ मनोवांछित फल की प्राप्ति होने की मान्यता है।कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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9 Comments

Gunjan Kamal

16-Nov-2022 08:14 AM

Nice 👍🏼

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Behtarin rachana

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Palak chopra

06-Nov-2022 01:13 AM

Shandar 🌸🙏

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